कौन है वो – १२
कौन है वो – १२
गतांक से आगे:
धीरे धीरे मालती ने सारा घर संभाल लिया, सुबह Dr राधा और विशाल के उठने से पहले ही वो पूरे घर की साफ सफाई, नाश्ता इत्यादि तैयार कर देती और जागने से पहले ही गर्मा गर्म चाय लेकर तैयार रहती।
कभी कभी Dr राधा प्यार से झुंझला जाती और कहती, अरे कुछ काम मुझे भी करने के लिए छोड़ दिया करो, तुमने तो जैसे पूरे घर के काम का ठेका ही ले लिया है।
मालती बस उनकी बात सुन कर होले से मुस्कुरा भर देती और कहती आपने इतना प्यार, इतना सम्मान दिया और साथ ही रहने और सर छुपाने का सहारा भी दिया, तो बदले में मुझे भी तो कुछ करने का हक है ना।
अच्छा अच्छा, जैसे तेरा मन करे वैसे कर, पर हां ध्यान रखना ज्यादा भारी काम तुम्हे और तुम्हारे होने वाले बच्चे को नुकसान पहुंचा सकता है, Dr राधा बोली, और ध्यान से अपनी सभी दवाएं लेते रहा करो।
देखते देखते 6/7 महीने गुजर गए और मालती के प्रसव का आठवां महीना भी पूरा होने लगा, लगातार देखभाल और जांच से उसका स्वास्थ्य बिलकुल सही चल रहा था। जैसे जैसे उसके प्रसव का समय करीब आता जा रहा था Dr राधा ने उसके घर का काम करने पर रोक लगा दी।
नियत समय पर मालती को हॉस्पिटल में भर्ती करवा दिया, जहां उसने एक सुंदर कन्या को जन्म दिया। ये ईश्वर का ही प्रताप था कि कन्या के नैन नक्श तो मां पर गए थे पर उसका रंग अपनी दादी पर था। जो भी उसे देखता देखता ही रह जाता।
Dr राधा और Dr विशाल तो ऐसे खुश थे मानो उनके घर में ही उनकी पोती ने जन्म लिया हो।
Dr राधा ने नन्ही गुड़िया का नाम परी रख दिया।
परी के आने से मालती का तो पूरा जीवन ही बदल गया। अब उसका सारा समय या तो घर की देखभाल में जाता या फिर परी को संभालने में। उसने अपने जीवन के सारे दुखों को समेट कर परी में ही अपनी दुनिया बसा ली थी।
Dr राधा ने धीरे धीरे मालती को हॉस्पिटल में नर्सिंग का काम सिखाना शुरू कर दिया, उनके कुशल नेतृत्व में मालती शीघ्र ही नर्सिंग के सारे कामों में निपुण हो गई और Dr राधा की असिस्टेंट के रूप में हॉस्पिटल में काम करने लगी।
वक्त पंख लगा कर उड़ता चला जा रहा था। नन्ही परी धीरे धीरे बड़ी हो रही थी। उसकी मधुर मीठी वाणी और मनमोहक मुस्कान हॉस्पिटल के हर छोटे बड़े कर्मचारी को मंत्रमुग्ध कर देती। Dr राधा, Dr विशाल सहित वह पूरे हॉस्पिटल की चहेती बन गई थी।
Dr राधा के प्यार ने मालती के दिल की सारी गिरह खोल दी थी उसने अपने जीवन की पूरी कहानी उन्हे सुना दी थी।
Dr विशाल और Dr राधा ने मालती और परी को अपने परिवार का हिस्सा बना लिया।
उपसंहार
आज जीवनज्योति हॉस्पिटल में उत्सव का सा माहौल है।
Dr विशाल और Dr राधा बेचैनी से हॉस्पिटल के लॉन में चहल कदमी कर रहे हैं।
थोड़ी देर में Dr विशाल की चमचमाती कार हॉस्पिटल के प्रांगण में प्रवेश कर गई।
दोनो ही तेज कदमों से कार की तरफ बढ़ चले। ड्राइवर ने उतर कर कार का पिछला दरवाजा खोला और पिछली सीट से परी ने उतर कर Dr राधा को गले लगाया और मुस्कुराते हुए बोली देखिए बड़ी मां आज मैंने आपका सपना पूरा कर दिया।
हां बेटा, हमको तुम पर नाज है, पर ये सब मालती की मेहनत लगन और तपस्या का ही फल है जो आज तुम इतना तरक्की कर पाई हो।
और उसे देखो, आज भी काम में ऐसे खोई है कि तेरे आने की भी सुध नहीं.....
जा, पहले जा कर उस से मिल, जिस ने तेरी पहचान बनाने के लिए खुद की पहचान ही मिटा दी.......आज से तू उसकी पहचान है, जब भी तुझे कोई देखेगा तो कहेगा ये है डॉक्टर परी, मालती की होनहार बेटी।
परी, जल्दी जल्दी कदम बढ़ा कर हॉस्पिटल में प्रवेश कर गई.....
समाप्त
आभार – नवीन पहल – १४.०८.२०२२
# नॉन स्टॉप २०२२
आँचल सोनी 'हिया'
17-Aug-2022 06:25 PM
अच्छा लिखा आपने💐
Reply
Chetna swrnkar
17-Aug-2022 05:56 PM
बेहतरीन रचना
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Seema Priyadarshini sahay
17-Aug-2022 05:00 PM
बेहतरीन भाग
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